Tuesday, July 26, 2011

A story of Nanak's dedication as told by OSHO


The gist of the story is that its not important whether you do Nitnem, meditation, kirtan or anything else. The main point is with how much effort and dedication, you do what you do. Just like in music its not how many songs a musician can sing or play, its the precision, (the accuracy, detail and devotion) with which he plays the notes and how much the musician himself is immersed in his own music. Same goes for any religious activity.


इक ओंकार सितनाम
करता पुरखु िनरभउ िनरवैर।
अकाल मूरित अजूनी सैभं गु$ %सा द।।

जपु:
आ द सचु जुगा द सचु।
है भी सचु नानक होसी भी सचु।।
पउड़): १
सोचे सोिच न होवई जे सोची लख बार।
चुपै चुप न होवई जे लाइ रहा िलवतार।
भु.खया भुख न उतर) जे बंना पुर)आं भार।
सहस िसयाणपा लख हो ह, त इक न चले नािल।
कव सिचयारा होइए, कव कूड़ै तुटै पािल।
हुकिम रजाई चलणा 'नानक' िल.खआ नािल।

एक अंधेर) रात। भाद3 क4 अमावस। बादल3 क4 गड़गड़ाहट। बीच-बीच म6 7बजली का चमकना। वषा9 के झ3के।
गांव पूरा सोया हुआ। बस, नानक के गीत क4 गंूज।
रात देर तक वे गाते रहे। नानक क4 मां डर)। आधी रात से <यादा बीत गई। कोई तीन बजने को हुए। नानक
के कमरे का द)या जलता है। बीच-बीच म6 गीत क4 आवाज आती है। नानक के =ार पर नानक क4 मां ने
द>तक द) और कहा, बेटे! अब सो भी जाओ। रात कर)ब-कर)ब जाने को हो गई।
नानक चुप हुए। और तभी रात के अंधेरे म6 एक पपीहे ने जोर से कहा, 7पयू-7पयू।
नानक ने कहा, सुनो मां! अभी पपीहा भी चुप नह)ं हुआ। अपने Aयारे क4 पुकार कर रहा है, तो मB कै से चुप
हो जाऊं ? इस पपीहे से मेर) होड़ लगी है। जब तक यह गाता रहेगा, पुकारता रहेगा, मB भी पुकारता रहूंगा।
और इसका Aयारा तो बहुत पास है, मेरा Aयारा बहुत दरू है। जDम3-जDम3 गाता रहूं तो ह) उस तक पहुंच
सकूंगा। रात और दन का हसाब नह)ं रखा जा सकता है। नानक ने फर गाना शुG कर दया।

नानक ने परमाHमा को गा-गा कर पाया। गीत3 से पटा है माग9 नानक का। इसिलए नानक क4 खोज बड़) िभDन है। पहली बात समझ लेनी जGर) है क नानक ने योग नह)ं कया, तप नह)ं कया, Iयान नह)ं कया। नानक ने िसफ9 गाया। और गा कर ह) पा िलया। ले कन गाया उDह3ने इतने पूरे %ाण से क गीत ह) Iयान हो गया, गीत ह) योग बन गया, गीत ह) तप हो गया

जब भी कोई समJ %ाण से कसी भी कृHय को करता है, वह) कृHय माग9 बन जाता है। तुम Iयान भी करो
अधूरा-अधूरा, तो भी न पहुंच पाओगे। तुम पूरा-पूरा, पूरे Kदय से, तुLहार) सार) समJता से, एक गीत भी
गा दो, एक नHृ य भी कर लो, तो भी तुम पहुंच जाओगे। Mया तुम करते हो, यह सवाल नह)ं। पूर) समJता
से करते हो या अधूरे-अधूरे, यह) सवाल है।

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